प्रकाश का परावर्तन : NCERT Science
प्रकाश ऊर्जा का वह रूप है जो वस्तुओं को जिससे वह आता है (या जिससे वह परावर्तित होकर आता है) देखने में सहायता करता है।
जैसे सूर्य को हम देख सकते हैं। क्योंकि उसका अपना प्रकाश है। इसी तरह वो वस्तुएँ जिनका अपना प्रकाश होता है, जैसे सूर्य, मोमबत्ती, तारे, आदि इन्हें प्रदीप्त (Luminous) वस्तुएं कहते हैं।
इसके अलावा अन्य वस्तुएँ जैसे कुर्सी, पत्थर, पेड़ आदि, जिनका अपना प्रकाश नहीं होता है उन्हें भी हम देख पाते हैं। इन्हें हम तभी देख पाते हैं जब प्रकाश इनसे टकराकर हमारी आंखों में पहुंचता है। ऐसी सभी वस्तुएँ जिनका अपना स्वयं का प्रकाश नहीं होता है उन्हें अदीप्त (Non Luminous) वस्तुएँ कहते हैं।
चंद्रमा भी अदीप्त है, क्योंकि इसका अपना प्रकाश नहीं होता है,यह सूर्य के प्रकाश जो इसकी सतह पर पड़ता है उसे परावर्तित करके दिखता है।
प्रकाश सीधी रेखा में चलता है। यह हम जानते हैं। जिसे हम आसानी से समझ भी सकते हैं। जैसे किसी टॉर्च का प्रकाश जब हम देखते हैं तो वह एक सीधी रेखा में हमको दिखता है। सुबह सुबह जब कमरे की खिड़की के छोटे से छेद से प्रकाश अंदर आता है तो धूल के कणों के चमकदार सीधी रेखा हमें दिखती है, इन सब घटनाओं से स्पष्ट होता है कि प्रकाश सीधी रेखा में चलता है।
प्रकाश का परावर्तन ------
प्रकाश जब किसी सतह पर पड़ता है तो तीन घटना हो सकती हैं-
1- प्रकाश सतह के द्वारा अवशोषित हो सकता है।
2- प्रकाश सतह के आर पार संचारित हो जाता है।
3- प्रकाश सतह से टकराकर एक निश्चित दिशा में वापस लौट जाता है।
अब पहली घटना के अनुसार यदि प्रकाश किसी सतह के द्वारा पूर्ण रूप से अवशोषित हो जाता है तो वस्तु हमें काली दिखाई देती है, जैसे श्यामपट्ट (Black bord) के द्वारा प्रकाश का सम्पूर्ण अवशोषण हो जाता है इसलिए श्यामपट्ट हमें काला दिखाई देता है। यदि सतह के द्वारा प्रकाश के कुछ ही भाग का अवशोषण होता है तो वस्तु अवशोषित होने वाले प्रकाश की मात्रा के आधार पर अलग अलग रंगों की दिखाई देती है।
दूसरी घटना हमें पारदर्शी माध्यम जैसे कांच में देखने को मिलती है। जिसमें प्रकाश उस माध्यम में सीधा आर पार चला जाता है। साफ पानी में भी इसी तरह की घटना दिखाई देती है।
तीसरी घटना कहलाती है परावर्तन। जिसे अब हम यहां पर देखने वाले हैं। जब प्रकाश किसी सतह पर टकराता है तो वह एक निश्चित दिशा में वापस लौट जाता है। इसे ही परावर्तन कहते हैं। प्रकाश का किसी सतह पर टकराकर वापस लौट जाना ही परावर्तन कहलाता है।
जैसे इस चित्र में प्रकाश की किरण AO जब किसी दर्पण के बिंदु O पर पड़ती है तो वो अन्य दिशा OB में वापस लौट जाती है, तो हम कहते हैं कि दर्पण के द्वारा प्रकाश का परिवर्तन कर दिया गया है।
हम अपने दैनिक जीवन मेंसामान्य रूप से समतल दर्पण का प्रयोग करते हैं, जिसमे परावर्तन के इसी गुण का प्रयोग होता है। साधारण दर्पणों को एक कांच की सतह के पीछे पतली सी चांदी की पोलिश करके बनाया जाता है। चांदी की पॉलिश के बाहर लाल पेंट को लगाकर इसे सुरक्षित रखा जाता है।
समतल दर्पण द्वारा प्रकाश का परावर्तन
समतल दर्पण के द्वारा प्रकाश का परिवर्तन कुछ नियमों के अनुसार होता है, जिन्हें हम परावर्तन के नियम कहते हैं। इन नियमों को समझने से पूर्व कुछ शब्द जैसे आपतित किरण, परावर्तित किरण, अभिलंब, आपतन कोण, आदि के बारे में जानना आवश्यक है।
परावर्तन के नियम ----
इसके लिए नीचे दिए चित्र के अनुसार हम इन शब्दों के साथ परावर्तन के नियमों को समझते हैं।
इस चित्र में एक समतल दर्पण MM' लिया गया है। जिस पर प्रकाश की किरण AO डाली गई है जो दर्पण से बिंदु O पर टकरा रही है। प्रकाश किरण AO आपतित किरण है। बिंदु O से प्रकाश दूसरी दिशा में परिवर्तित होता है जिसे किरण OB द्वारा दिखाया गया है। जिसे परावर्तित किरण कहा जाता है। यहां पर बिंदु O को आपतन बिंदु कहते हैं। बिंदु O पर जब हम समतल दर्पण के सापेक्ष एक लंबवत रेखा खींचते हैं तो उस काल्पनिक रेखा को अभिलंब कहा जाता है, जिसे ON के द्वारा दर्शाया गया है। अभिलंब और आपतित किरण के बीच बना कोण आपतन कोण कहलाता है, जिसे i के द्वारा दर्शाया जाता है। अभिलंब और परावर्तित किरण के बीच बना कोण परावर्तन कोण कहलाता है,जिसे r द्वारा दर्शाया जाता है।
अब इन सबके आधार पर हम परावर्तन के नियमों को देखते हैं। समतल दर्पण में प्रकाश का परिवर्तन मुख्यतः दो नियमों के द्वारा होता है जो निम्न प्रकार हैं-
प्रथम नियम-
इस नियम के अनुसार आपतित किरण, परावर्तित किरण और अभिलंब तीनों एक ही तल पर होते हैं। जैसे इस चित्र में, आपतित किरण OA, परावर्तित किरण OB, तथा अभिलंब ON तीनों एक ही कागज के तल पर हैं।
द्वितीय नियम -
परावर्तन के द्वितीय नियम के अनुसार - परावर्तन कोण सदैव आपतन कोण के बराबर होता है।
<i = <r
आपतन कोण = परावर्तन कोण
तो ये थी प्रकाश के परावर्तन और परावर्तन के नियम की जानकारी शेष अगले अंक में-
अगले भाग को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। समतल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब
............ क्रमशः
No comments: