सूक्ष्मदर्शी (Microscope)

 







बिना किसी यंत्र की सहायता से हम 1 मिमी से छोटी रचनाओं को देखने में असमर्थ हैं । अतः इस प्रकार के सूक्ष्म जीवों को देखने के लिए हमें किसी आवर्धन यंत्र की आवश्यकता होती है। इन उपकरणों में अनेक आवर्धन लेंसों का मिश्रण होता है, इसलिए इन्हें सूक्ष्मदर्शी कहा जाता है। आजकल वर्तमान में कई प्रकार के सूक्ष्मदर्शी प्रचलन में आ चुके हैं, परंतु फिर भी सामान्य प्रयोगशालाओं में 2 प्रकार के सूक्ष्मदर्शी प्रचलित हैं- 


1. सरल विच्छेदन सूक्ष्मदर्शी ( Simple Dissecting Microscope) 

2. संयुक्त सूक्ष्मदर्शी ( Compound Microscope)


1. सरल विच्छेदन सूक्ष्मदर्शी- 


सरल सूक्ष्मदर्शी केवल एक उत्तल लेंस से निर्मित होता है। जिससे वस्तु का आवर्धित और उल्टा प्रतिबिंब बनता है। आवर्धक लेंस को कार्य के लिए उपयोगी बनाने हेतु इसको सरल सूक्ष्मदर्शी का रूप दिया गया है। जिसमें निम्नलिखित भाग हैं - (i) उर्ध्व स्टैंड पर मुड़ने एवं घूमने वाली भुजा द्वारा लगा हुआ उत्तल लैंस, (ii) स्टैंड पर लगी हुई एक उर्ध्व छोटी सी चल भुजा जो पेंच द्वारा ऊपर नीचे घुमाई जा सकती है तथा जिसके द्वारा फोकस सही किया जाता है, (iii) स्टैंड, (iv) foot , (v) परावर्ती दर्पण जो प्रकाश की किरणों को वस्तु पर संघनित करता है, (vi) कांच की बनी स्टेज। सरल सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता आवर्धन लैंस के अनुरूप 4-40 गुना तक होती है। 


1. प्रयोग से पहले दर्पण व लैंस को महीन व स्वच्छ कपड़े से साफ कीजिये।

2. सूक्ष्मदर्शी का दर्पण प्रकाश की ओर कीजिये।

3. स्लाइड का अध्ययन करने के लिए कांच की स्टेज पर क्लिप की सहायता से स्लाइड लगाते हैं।

4. नेत्र को लेंस के ऊपर रखते हैं।

5. कांच के स्टेज पर रखी वस्तु को लेंस को ऊपर नीचे पेंच की सहायता से फोकस पर रख लेते हैं। 








2. संयुक्त सूक्ष्मदर्शी -


संयुक्त सूक्ष्मदर्शी का प्रयोग अतिसूक्ष्म वस्तुओं को देखने के लिए किया जाता है। इसकी सहायता से कोई वस्तु 500- 600 गुना बड़ी दिखाई देती है। 



सूक्ष्मदर्शी के भाग- 


1. आधार (Base)- यह V के आकर का सबसे नीचे का भाग है जिसके सहारे सूक्ष्मदर्शी को मेज पर रखते हैं। 

2. दंड (Arm)- यह लगभग C के आकार का होता है, जिसे पकड़कर सूक्ष्मदर्शी को उठाया जाता है।

3. दर्पण (Mirror)- यह दंड के निचले भाग से जुड़ा रहता है। इससे प्रकाश किरणों को वस्तु पर फोकस करते हैं।

4. मंच (Stage)- यह दण्ड के निचले भाग से जुड़ा रहता है। इसके बीच में एक गोल छिद्र होता है। इसी के ऊपर देखने वाली वस्तु को रखा जाता है। मंच में क्लिप और डायाफ्राम होता है।

5. बॉडी ट्यूब (Body Tube)- यह लंबी व नालिकाकार रचना है जो दंड के ऊपरी सिरे से जुड़ी रहती है। इसे पेंच के द्वारा ऊपर नीचे खिसकाया जा सकता है। इसमें अग्रलिखित भाग होते हैं - 

(क) नेत्रिका (Eye-piece)- यह एक छोटी व नालिकाकार रचना है जो बॉडी ट्यूब के ऊपरी सिरे पर लगी होती है। 

(ख) नोज पीस (Nose piece)- यह गोल प्लेट है जो बॉडी ट्यूब के निचले सिरे से लगा होता है। इसमें दो छिद्र होते हैं जिनमें अभिदृश्यक लैंस लगाए जाते हैं।

(ग) अभिदृश्यक (Objective)- ये दो होते हैं जो नोज पीस के छिद्रों में लगे होते हैं। जिनमें से एक अल्पवर्धक तथा दूसरा उच्चवर्धक होता है। 



सूक्ष्मदर्शी को सेट करना- 


1. सूक्ष्मदर्शी को बॉक्स के निकालकर कार्य करने वाली मेज पर सावधानी से रखते हैं।

2. इसके विभिन्न भागों की जांच करते हैं कि कहीं इसका कोई भाग खराब तो नहीं है।

3. लैंस को साफ कपड़े या लैंस पेपर की सहायता से साफ कर लेते हैं।

4. पेंच को घुमाकर लैंस को ऊपर की ओर कर लेते हैं।

5. दर्पण से प्रकाश को केंद्रित कर लेते हैं नेत्रिका के ऊपर से देखकर प्रकाश को देखकर इसकी जांच कर लेते हैं। 


सूक्ष्मदर्शी को फोकस करना- 


1. स्लाइड को सूक्ष्मदर्शी के स्टेज पर रखकर आगे पीछे खिसकाकर इस तरह सेट करते हैं कि स्लाइड में रचना ठीक छिद्र के ऊपर आ जाये।

2. पेंच को घुमाकर बॉडी ट्यूब को नीचे स्लाइड तक चिपका लेते हैं। परंतु इतना नहीं कि स्लाइड टूट जाये।

3. नेत्रिका लैंस से देखते हुए पेंच को घुमाकर अभिदृश्यक को ऊपर उठाते जाते हैं जब तक रचना स्पष्ट न दिखाई देने लगे। 

4. इसके पश्चात दूसरे छोटे पेंच को हल्का ऊपर नीचे घुमाकर स्पष्ट दृश्य प्राप्त कर लेते हैं।

5. इस प्रकार हम किसी सूक्ष्म वस्तु का आवर्धित स्पष्ट प्रतिबिम्ब प्राप्त कर लेते हैं।



देख रेख एवं सावधानियां-


1. केवल उपयोग में लाने के समय ही सूक्ष्मदर्शी को बॉक्स से निकलना चाहिए।

2. बॉक्स से निकालते समय एक हाथ से सूक्ष्मदर्शी की भुजा तथा दूसरे हाथ से इसके आधार को पकड़ना चाहिए।

3. सूक्ष्मदर्शी को सावधानी से मेज के बीच में रखिये, इसे किनारे पर नहीं रखना चाहिए।

4. सूक्ष्मदर्शी की भुजा को अपनी ओर तथा स्टेज को दूसरी ओर रखना चाहिए।

5. प्रयोग करने से पहले इसके समस्त भागों को अच्छे से साफ कर लेना चाहिए।

6. सूक्ष्मदर्शी को सीधा रखकर ही उपयोग करना चाहिए।

7. बिना कवर स्लिप के कोई भी स्लाइड सूक्ष्मदर्शी पर नहीं रखना चाहिए।

8. लेंसों को हाथों से स्पर्श नहीं करना चाहिए। 

9. कार्य समाप्त होने के पश्चात सूक्ष्मदर्शी को सावधानी से बॉक्स में रखकर उचित स्थान पर रख देना चाहिए। 

10. सूक्ष्मदर्शी द्वारा अध्ययन करते समय दोनों नेत्र खुले रहने चाहिए।







शेष अगले अंक में..................

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