चैत्र नवरात्रि 2025: चौथे दिन का महत्व और माँ कूष्माण्डा की पूजा विधि
भूमिका:
चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन देवी दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप माँ कूष्माण्डा की पूजा को समर्पित होता है। माँ कूष्माण्डा को सृष्टि की आदिशक्ति माना जाता है, जिनकी हल्की सी मुस्कान से ब्रह्मांड का सृजन हुआ। इनके पूजन से भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि का संचार होता है। इस लेख में हम जानेंगे माँ कूष्माण्डा की कथा, उनकी पूजा विधि, मंत्र और इस दिन के शुभ फल।
माँ कूष्माण्डा का स्वरूप और महत्व
माँ कूष्माण्डा का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है – "कूष्म" (कुम्हड़ा या कद्दू) और "अंड" (ब्रह्मांड), जिसका अर्थ है वह देवी जिन्होंने अपने तेज से पूरे ब्रह्मांड की रचना की। इनका स्वरूप अत्यंत दिव्य एवं तेजस्वी है।
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माँ कूष्माण्डा आठ भुजाओं से सुशोभित हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है।
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इनके हाथों में धनुष, बाण, कमल, अमृत कलश, गदा, जप माला और चक्र होता है।
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इनका वाहन सिंह है, जो शक्ति और निर्भयता का प्रतीक है।
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इन्हें प्रसन्नता की देवी भी कहा जाता है, क्योंकि इनके मुस्कुराने से ही सृष्टि का आरंभ हुआ।
माँ कूष्माण्डा की उपासना से जीवन में ऊर्जा, स्वास्थ्य, समृद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
चैत्र नवरात्रि 2025: माँ कूष्माण्डा की पूजा विधि
चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्माण्डा की पूजा विशेष रूप से सकारात्मक ऊर्जा और दीर्घायु प्राप्त करने के लिए की जाती है। आइए जानते हैं उनकी पूजा विधि:
1. स्नान एवं संकल्प:
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प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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माँ कूष्माण्डा की पूजा करने का संकल्प लें।
2. पूजा स्थल की तैयारी:
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माँ की प्रतिमा या चित्र को एक स्वच्छ स्थान पर रखें।
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पूजा के लिए घी का दीपक जलाएं और धूप-अगरबत्ती अर्पित करें।
3. पूजन सामग्री:
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लाल या नारंगी फूल
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कद्दू (कूष्माण्ड) का भोग
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दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से पंचामृत
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चंदन, रोली, अक्षत (चावल)
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नारियल, मिठाई और फल
4. मंत्र जाप एवं आरती:
माँ कूष्माण्डा की पूजा के दौरान निम्न मंत्र का जाप अत्यंत फलदायी माना जाता है:
|| ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्माण्डायै नमः ||
इसके बाद दुर्गा चालीसा और माँ कूष्माण्डा की आरती करें।
माँ कूष्माण्डा के पूजन का फल और लाभ
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आरोग्य और दीर्घायु: माँ कूष्माण्डा की पूजा करने से उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।
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सकारात्मक ऊर्जा: इनकी कृपा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आत्मबल का संचार होता है।
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बुद्धि एवं ज्ञान: छात्रों और विद्वानों के लिए माँ कूष्माण्डा की पूजा अत्यंत लाभकारी होती है।
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आर्थिक समृद्धि: इनकी कृपा से आर्थिक बाधाएँ दूर होती हैं और घर में समृद्धि आती है।
चैत्र नवरात्रि 2025 चौथे दिन का शुभ मुहूर्त
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पूजा का शुभ समय: (अद्यतन समय के लिए पंचांग देखें)
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रंग: इस दिन नारंगी या लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है।
निष्कर्ष
चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन माँ कूष्माण्डा की उपासना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इनके पूजन से भक्तों को सुख, स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है। माँ की कृपा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति का संचार होता है।
इस चैत्र नवरात्रि, माँ कूष्माण्डा की कृपा से आप सभी के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे! जय माता दी!
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