रासायनिक अभिक्रियाओं के प्रकार : NCERT Science Class 10th


 रासायनिक अभिक्रियाओं के प्रकार

हम  जानते हैं कि रासायनिक क्रिया के समय किसी एक तत्व का परमाणु दूसरे तत्व के परमाणु में नहीं बदलता है। न तो कोई परमाणु मिश्रण से बाहर जाता है और न ही बाहर से मिश्रण में आता है। वास्तव में, किसी रासायनिक अभिक्रिया में परमाणुओं के आपसी आबंध के टूटने एवं जुड़ने से नए पदार्थों का निर्माण होता है। पदार्थों के बीच निम्न प्रकार की रासायनिक अभिक्रियाएँ होती हैं - 


संयोजन अभिक्रिया


क्रियाकलाप

✅ एक बीकर में थोड़ा कैल्सियम अॉक्साइड तथा बुझा हुआ चूना लीजिए।

✅ इसमें धीरे-धीरे जल मिलाइए।

✅ अब बीकर को स्पर्श कीजिए जैसा चित्र 1.3 में दिखाया गया है।

✅ क्या इसके ताप में कोई परिवर्तन हुआ?

चित्र 1.3 जल के साथ कैल्सियम अॉक्साइड की अभिक्रिया से बुझे हुए चूने का निर्माण


कैल्सियम अॉक्साइड जल के साथ तीव्रता से अभिक्रिया करके बुझे हुए चूने (कैल्सियम हाइड्रोक्साइड) का निर्माण करके अधिक मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न करता है।


CaO(s) + H2O(l)  Ca(OH)2(aq) + ऊष्मा

(बिना बुझा हुआ चूना) (बुझा हुआ चूना)

इस अभिक्रिया में कैल्सियम अॉक्साइड तथा जल मिलकर एकल उत्पाद, कैल्सियम हाइड्रोक्साइड बनाते हैं। एेसी अभिक्रिया जिसमें दो या दो से अधिक अभिकारक मिलकर एकल उत्पाद का निर्माण करते हैं उसे संयोजन अभिक्रिया कहते हैं।


क्या आप जानते है 

ऊपर की अभिक्रिया में निर्मित बुझे हुए चूने के विलयन का उपयोग दीवारों की सफ़ेदी करने के लिए किया जाता है। कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड वायु में उपस्थित कार्बन डाइअॉक्साइड के साथ धीमी गति से अभिक्रिया करके दीवारों पर कैल्सियम कार्बोनेट की एक पतली परत बना देता है। सफ़ेदी करने के दो-तीन दिन बाद कैल्सियम कार्बोनेट का निर्माण होता है और इससे दीवारों पर चमक आ जाती है। रोचक बात यह है कि संगमरमर का रासायनिक सूत्र भी CaCO3 ही है।

Ca(OH)2(aq) + CO2(g) CaCO3(s) + H2O(l)

(कैल्सियम हाइड्रोक्साइड) (कैल्सियम) (कार्बोनेट)


आइए, संयोजन अभिक्रिया के कुछ और उदाहरणों पर चर्चा करें।

(i) कोयले का दहन


C(s) + O2(g)  CO2(g) 

(ii) H2 (g) तथा O2 (g) से जल का निर्माण


2H2(g) + O2(g)  2H2O(l) 

सरल शब्दों में हम कह सकते हैं कि जब दो या दो से अधिक पदार्थ (तत्व या यौगिक) संयोग करके एकल उत्पाद का निर्माण करते हैं, एेसी अभिक्रियाओं को संयोजन अभिक्रिया कहते हैं।

क्रियाकलाप  में हमने यह भी देखा कि अधिक मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न हुई। इससे अभिक्रिया मिश्रण गर्म हो जाता है। जिन अभिक्रियाओं में उत्पाद के निर्माण के साथ-साथ ऊष्मा भी उत्पन्न होती है उन्हें ऊष्माक्षेपी रासायनिक अभिक्रिया कहते हैं।

ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाओं के कुछ अन्य उदाहरण हैंः

(i) प्राकृतिक गैस का दहनः

CH4(g) + 2O2 (g)  CO2 (g) + 2H2O (g) +ऊर्जा

(ii) क्या आप जानते हैं कि श्वसन एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है?

हम सभी जानते हैं कि जीवित रहने के लिए हमें ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह ऊर्जा हमें भोजन से प्राप्त होती है। पाचन क्रिया के समय खाद्य पदार्थ छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाते हैं। जैसे चावल, आलू तथा ब्रेड में कार्बोहाइड्रेट होता है। इन कार्बोहाइड्रेट के टूटने से ग्लूकोज़ प्राप्त होता है। यह ग्लूकोज़ हमारे शरीर की कोशिकाओं में उपस्थित अॉक्सीजन से मिलकर हमें ऊर्जा प्रदान करता है। 


C6H12O6(aq) + 6O2(aq)  6CO2(aq) +6H2O(l) + ऊर्जा

ग्लूकोज़

(iii) शाक-सब्जियों (वनस्पति द्रव्य) का विघटित होकर कंपोस्ट बनना भी ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया का ही उदाहरण है।




चित्र 1.4 फ़ेरस सल्फ़ेट क्रिस्टल वाली परखनली को गर्म करने तथा गंध सूँघने की सही विधि



वियोजन (अपघटन) अभिक्रिया

⭕  एक शुष्क क्वथन नली में 2 g फ़ेरस सल्फ़ेट के क्रिस्टल लीजिए।

⭕ फ़ेरस सल्फ़ेट के क्रिस्टल के रंग पर ध्यान दीजिए।

⭕ क्वथन नली को बर्नर या स्पिरिट लैंप की ज्वाला पर गर्म कीजिए, जैसा चित्र 1.4 में दिखाया गया है।

⭕ गर्म करने के पश्चात क्रिस्टल के रंग को देखिए।


क्या आपने ध्यान दिया कि फ़ेरस सल्फ़ेट क्रिस्टल के हरे रंग में परिवर्तन हुआ है? सल्फ़र के दहन से उत्पन्न उस अभिलाक्षणिक (विशिष्ट) गंध को भी आप सूँघ सकते हैं।



आप देख सकते हैं कि इस अभिक्रिया में एकल अभिकर्मक टूट कर छोटे-छोटे उत्पाद प्रदान करता है। यह एक वियोजन अभिक्रिया है। गर्म करने पर फ़ेरस सल्फ़ेट (FeSO4. 7H2O) का क्रिस्टल जल त्याग देता है और क्रिस्टल का रंग बदल जाता है। इसके उपरांत यह फ़ेरिक अॉक्साइड (Fe2O3), सल्फ़र डाइअॉक्साइड (SO2) तथा सल्फ़र ट्राइअॉक्साइड (SO3) में वियोजित हो जाता है। फ़ेरिक अॉक्साइड ठोस है जबकि SO2 तथा SO3 गैसें हैं।

ऊष्मा देने पर कैल्सियम कार्बोनेट का कैल्सियम अॉक्साइड तथा कार्बन डाइअॉक्साइड में वियोजित होना एक प्रमुख वियोजन अभिक्रिया है जिसका उपयोग विभिन्न उद्योगों में होता है। कैल्सियम अॉक्साइड को चूना या बिना बुझा हुआ चूना कहते हैं। इसके अनेक उपयोगों में से एक उपयोग सीमेंट के निर्माण में होता है। ऊष्मा के द्वारा की गई वियोजन अभिक्रिया को ऊष्मीय वियोजन कहते हैं।





क्रियाकलाप 

🔳 एक क्वथन नली में 2 g लेड नाइट्रेट का चूर्ण लीजिए।

🔳  चिमटे से क्वथन नली को पकड़कर ज्वाला के ऊपर रखकर इसे गर्म कीजिए जैसा चित्र में दिखाया गया है।

🔳 आपने क्या देखा? यदि कोई परिवर्तन हुआ हैे तो उसे नोट कर लीजिए।



चित्र  लेड नाइट्रेट का तापन तथा नाइट्रोजन डाइअॉक्साइड का उत्सर्जन


आप देखेंगे कि भूरे रंग का धुआँ उत्सर्जित होता है। यह नाइट्रोजन डाइअॉक्साइड (NO2)का धुआँ है। 




क्रियाकलाप 

🔻  एक प्लास्टिक का मग लीजिए। इसकी तली में दो छिद्र करके उनमें रबड़ का डाट लगा दीजिए। इन छिद्रों में कार्बन इलेक्ट्रोड डाल दीजिए जैसा कि चित्र  में दिखाया गया है।

🔻  इन इलेक्ट्रोडों को 6 वोल्ट की बैटरी से जोड़ दीजिए।

🔻  मग में इतना जल डालिए कि इलेक्ट्रोड उसमें डूब जाए। जल में तनु सल्फ़्यूरिक अम्ल की कुछ बूँदें डाल दीजिए।

🔻  जल से भरी दो अंशांकित परखनलियों को दोनों कार्बन इलेक्ट्रोडों के ऊपर उलटा करके रख दीजिए।

🔻  अब विद्युत धारा प्रवाहित करके इस उपकरण को थोड़ी देर के लिए छोड़ दीजिए।

🔻  दोनों इलेक्ट्रोडों पर आप बुलबुले बनते हुए देखेंगे। ये बुलबुले अंशांकित नली से जल को विस्थापित कर देते हैं।

🔻  क्या दोनों परखनलियों में एकत्रित गैस का आयतन समान है?

🔻  जब दोनों परखनलियाँ गैस से भर जाएँ तब उन्हें सावधानीपूर्वक हटा लीजिए।

🔻  एक जलती हुई मोमबत्ती को दोनों परखनलियों के मुँह के ऊपर लाकर इन गैसों की जाँच कीजिए।

सावधानीः इस चरण को शिक्षक द्वारा सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए।

💠  दोनों स्थितियों में क्या होता है?

💠  दोनों परखनलियों में कौन सी गैस उपस्थित है?


क्रियाकलाप 

🔷  चायना डिश में 2 g सिल्वर क्लोराइड लीजिए।

🔷  इसका रंग क्या है?

🔷  इस चायना डिश को थोड़ी देर के लिए सूर्य के प्रकाश में रख दीजिए ।

🔷  थोड़ी देर पश्चात सिल्वर क्लोराइड के रंग को देखिए।




सूर्य के प्रकाश में सिल्वर क्लोराइड धूसर रंग का होकर सिल्वर धातु बनाता है


आप देखेंगे कि सूर्य के प्रकाश में श्वेत रंग का सिल्वर क्लोराइड धूसर रंग का हो जाता है। प्रकाश की उपस्थिति में सिल्वर क्लोराइड का सिल्वर तथा क्लोरीन में वियोजन के कारण से एेसा होता है।



सिल्वर ब्रोमाइड भी इसी प्रकार अभिक्रिया करता है।



ऊपर दी गई अभिक्रिया का उपयोग श्याम-श्वेत फ़ोटोग्राफी में किया जाता है।

किस प्रकार की ऊर्जा के कारण यह वियोजन अभिक्रिया होती है?

हमने देखा कि वियोजन अभिक्रिया में अभिकारकों को तोड़ने के लिए ऊष्मा, प्रकाश या विद्युत ऊर्जा की आवश्यकता होती है। जिन अभिक्रियाओं में ऊर्जा अवशोषित होती है उन्हें ऊष्माशोषी अभिक्रिया कहते हैं।


निम्नलिखित क्रियाकलाप करें

एक परखनली में लगभग 2 g बेरियम हाइड्रॉक्साइड लीजिए। इसमें 1 g अमोनियम क्लोराइड डालकर काँच की छड़ से मिलाइए। अपनी हथेली से परखनली के निचले सिरे को छूइए। आप कैसा महसूस करते हैं? क्या यह अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी अथवा ऊष्माशोषी है?




 विस्थापन अभिक्रिया

🔸  लोहे की तीन कील लीजिए और उन्हें रेगमाल से रगड़कर साफ़ कीजिए।

🔸  (A) तथा (B) से चिह्नित की हुई दो परखनलियाँ लीजिए। प्रत्येक परखनली में 10 mL कॉपर सल्फ़ेट का विलयन लीजिए।

🔸  दो कीलों को धागे से बाँधकर सावधानीपूर्वक परखनली (B) के कॉपर सल्फ़ेट के विलयन में लगभग 20 मिनट तक डुबो कर रखिए । तुलना करने के लिए एक कील को अलग रखिए।

🔸  20 मिनट पश्चात दोनों कीलों को कॉपर सल्फ़ेट के विलयन से बाहर निकाल लीजिए।

🔸  परखनली (A) तथा (B) में कॉपर सल्फ़ेट के विलयन के नीले रंग की तीव्रता की तुलना कीजिए

🔸  कॉपर सल्फ़ेट के विलयन में डूबी कीलों के रंग की तुलना बाहर रखी कील से कीजिए




कॉपर सल्फ़ेट के विलयन में डूबी हुई लोहे की कीलें




लोहे की कील का रंग भूरा क्यों हो गया तथा कॉपर सल्फ़ेट के विलयन का नीला रंग मलीन क्यों पड़ गया?

इस क्रियाकलाप में निम्नलिखित अभिक्रिया हुईः


Fe(s) + CuSO4(aq)  FeSO4(aq) + Cu(s)(1.24)

(कॉपर सल्फ़ेट) (आयरन सल्फ़ेट)


इस अभिक्रिया में लोहे (आयरन) ने दूसरे तत्व कॉपर को कॉपर सल्फ़ेट के विलयन सेे विस्थापित कर दिया या हटा दिया। इस अभिक्रिया को विस्थापन अभिक्रिया कहते हैं।


विस्थापन अभिक्रिया के कुछ अन्य उदाहरणः


Zn(s) + CuSO4(aq)  ZnSO4(aq) + Cu(s)

(कॉपर सल्फ़ेट) (जिंक सल्फ़ेट)

Pb(s) + CuCl2(aq)  PbCl2(aq) + Cu(s)

(कॉपर क्लोराइड)(लेड क्लोराइड)


जिंक तथा लेड, कॉपर की अपेक्षा अधिक क्रियाशील तत्व हैं। वे कॉपर को उसके यौगिक से विस्थापित कर देते हैं।


चित्र

बेरियम सल्फ़ेट तथा सोडियम क्लोराइड का निर्माण



द्विविस्थापन अभिक्रिया


क्रियाकलाप

▪  एक परखनली में 3 mL सोडियम सल्फ़ेट का विलयन लीजिए।

▪ एक अन्य परखनली में 3 mL बेरियम क्लोराइड लीजिए।

▪ दोनों विलयनों को मिला लीजिए ।

▪  आपने क्या देखा?


आप देखेंगे कि श्वेत रंग के एक पदार्थ का निर्माण होता है जो जल में अविलेय है। इस अविलेय पदार्थ को अवक्षेप कहते हैं। जिस अभिक्रिया में अवक्षेप का निर्माण होता है उसे अवक्षेपण अभिक्रिया कहते हैं।


Na2SO4(aq) + BaCl2(aq)  BaSO4(s) +2NaCl(aq)

(सोडियम (बेरियम (बेरियम (सोडियम

सल्फ़ेट) क्लोराइड) सल्फ़ेट) क्लोराइड)

एेसा क्यों होता है? Ba2+ तथा  की अभिक्रिया से BaSO4 के अवक्षेप का निर्माण होता है। एक अन्य उत्पाद सोडियम कलोराइड का भी निर्माण होता है जो विलयन में ही रहता है। वे अभिक्रियाएँ जिनमें अभिकारकों के बीच आयनों का आदान-प्रदान होता है उन्हें द्विविस्थापन अभिक्रियाएँ कहते हैं।






उपचयन एवं अपचयन


चित्र

कॅापर का कॉपर आक्साइड में उपचयन


क्रियाकलाप 

🔴 चायना डिश में 1 g कॉपर चूर्ण लेकर उसे गर्म कीजिए (चित्र 1.10)।

🔴 आपने क्या देखा?


कॉपर चूर्ण की सतह पर कॉपर अॉक्साइड (II) की काली परत चढ़ जाती है। यह काला पदार्थ क्यों बना?

यह कॉपर अॉक्साइड कॉपर में अॉक्सीजन के योग से बना है।



यदि इस गर्म पदार्थ (CuO) के ऊपर हाइड्रोजन गैस प्रवाहित की जाए तो सतह की काली परत भूरे रंग की हो जाती है क्योंकि इस स्थिति में विपरीत अभिक्रिया संपन्न होती है तथा कॉपर प्राप्त होता है।



अभिक्रिया के समय जब किसी पदार्थ में अॉक्सीजन की वृद्धि होती है तो कहते हैं कि उसका उपचयन हुआ है। तथा जब अभिक्रिया में किसी पदार्थ में अॉक्सीजन का ह्रास होता है तो कहते हैं कि उसका अपचयन हुआ है।

अभिक्रिया में कॉपर (II) अॉक्साइड में अॉक्सीजन का ह्रास हो रहा है इसलिए यह अपचयित हुआ है। हाइड्रोजन में अॉक्सीजन की वृद्धि हो रही है इसलिए यह उपचयित हुआ है। अर्थात, किसी अभिक्रिया में एक अभिकारक उपचयित तथा दूसरा अभिकारक अपचयित होता है। इन अभिक्रियाओं को उपचयन-अपचयन अथवा रेडॉक्स अभिक्रियाएँ कहते हैं।


रेडॉक्स अभिक्रिया के कुछ अन्य उदाहरण हैः


ZnO + C  Zn + CO

MnO2 + 4HCl  MnCl2 + 2H2O + Cl2


अभिक्रिया  में र्काबन उपचयित होकर CO तथा ZnO अपचयित होकर Zn बनता है।

अभिक्रिया में HCl, Cl2 में उपचयित तथा MnO2, MnCl2 में अपचयित हुआ है।


ऊपर के उदाहरणों के आधार पर हम कह सकते हैं कि यदि किसी अभिक्रिया में पदार्थ का उपचयन तब होता है जब उसमें अॉक्सीजन की वृद्धि या हाइड्रोजन का ह्रास होता है। पदार्थ का अपचयन तब होता है जब उसमें अॉक्सीजन का ह्रास या हाइड्रोजन की वृद्धि होती है।



 क्या आपने दैनिक जीवन में उपचयन अभिक्रियाओं के प्रभावों को देखा है?


संक्षारण

आपने अवश्य देखा होगा कि लोहे की बनी नयी वस्तुएँ चमकीली होती हैं लेकिन कुछ समय पश्चात उन पर लालिमायुक्त भूरे रंग की परत चढ़ जाती है। प्रायः इस प्रक्रिया को लोहे पर जंग लगना कहते हैं। कुछ अन्य धातुओं में भी एेसा ही परिवर्तन होता है। क्या आपने चाँदी तथा ताँबे पर चढ़ने वाली परत के रंग पर ध्यान दिया है? जब कोई धातु अपने आसपास अम्ल, आर्द्रता आदि के संपर्क में आती है तब ये संक्षारित होती हैं और इस प्रक्रिया को संक्षारण कहते हैं। चाँदी के ऊपर काली पर्त व ताँबे के ऊपर हरी पर्त चढ़ना संक्षारण के अन्य उदाहरण हैं।

संक्षारण के कारण कार के ढाँचे, पुल, लोहे की रेलिंग, जहाज तथा धातु, विशेषकर लोहे से बनी वस्तुओं की बहुत क्षति होती है। लोहे का संक्षारण एक गंभीर समस्या है। क्षतिग्रस्त लोहे को बदलने में हर वर्ष अधिक पैसा खर्च होता है। 


विकृतगंधिता

वसायुक्त अथवा तैलीय खाद्य सामग्री जब लंबे समय तक रखा रह जाता है तब उसका स्वाद या गंध कैसी होती है?

उपचयित होने पर तेल एवं वसा विकृतगंधी हो जाते हैं तथा उनके स्वाद तथा गंध बदल जाते हैं। प्रायः तैलीय तथा वसायुक्त खाद्य सामग्रियों में उपचयन रोकने वाले पदार्थ (प्रति अॉक्सीकारक) मिलाए जाते हैं। वायुरोधी बर्तनों में खाद्य सामग्री रखने से उपचयन की गति धीमी हो जाती है। क्या आप जानते हैं कि चिप्स बनाने वाले चिप्स की थैली में से अॉक्सीजन हटाकर उसमें नाइट्रोजन जैसे कम सक्रिय गैस से युक्त कर देते हैं ताकि चिप्स का उपचयन न हो सके।




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