दशहरा / विजयादशमी , क्या है? क्यों मनाया जाता है।

 हिन्दू धर्म में अनेक त्यौहार मनाये जाते हैं, जिनका बहुत अधिक सामाजिक महत्व होता है। त्यौहार मनाने के पीछे कोई न कोई कारण भी अवश्य छिपा होता है। 

आज हम जानते हैं कि विजयादशमी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है और इस दिन क्या होता है खास। 

दशहरा या विजयादशमी असत्य पर सत्य की जीत का उत्सव है। त्रेतायुग में इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था इसलिए यह त्यौहार अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में मनाया जाता है। 

दशहरे का उत्सव शक्ति और शक्ति का समन्वय बताने वाला उत्सव भी है। नवरात्रि के नौ दिन जगदम्बा की उपासना करके जब मनुष्य अपने अंदर एक असीम शक्ति का अनुभव करता है  तओ वह विजय  प्राप्ति के लिए तत्पर रहता है। इस दृष्टि से दशहरे को विजय के लिए प्रस्थान का उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।




भारतीय संस्कृति सदा से ही वीरता व शौर्य की समर्थक रही है।मराठा रत्न शिवाजी ने भी औरंगजेब के विरुद्ध इसी दिन प्रस्थान करके हिन्दू धर्म की रक्षा की थी। भारतीय इतिहास में अनेक उदाहरण हैं जब हिन्दू राजा इस दिन विजय-प्रस्थान करते थे।

इस पर्व को भगवती के 'विजया' नाम पर भी 'विजयादशमी' कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि अश्विन शुक्ल दशमी को तारा उदय होने के समय 'विजय' नामक मुहूर्त होता है। यह काल सर्वकार्य सिद्धिदायक होता है। इसलिए भी इसे विजयादशमी कहते हैं।

ऐसा माना गया है कि शत्रु पर विजय पाने के लिए इसी समय प्रस्थान करना चाहिए। इस दिन श्रवण नक्षत्र का योग और भी अधिक शुभ माना गया है। युद्ध करने का प्रसंग न होने पर भी इस काल में राजाओं (महत्त्वपूर्ण पदों पर पदासीन लोग) को सीमा का उल्लंघन करना चाहिए। 


विजयादशमी के दिन कोई भी नया काम शुरू करने से अवश्य सफलता मिलती है। 9 दिन की नवरात्रि में मां आदि शक्ति की पूजा कर उनके आशीर्वाद के फलस्वरूप दसवें दिन विजयादशमी को प्रातः पूजा करके किसी शुभ कार्य को करने से उस कार्य में अवश्य सफलता मिलती है। 


भारत में तो यह शस्त्र और शास्त्र की पूजा का दिवस भी कहलाता है। 


इस दिन जगह जगह अन्याय और अधर्म के प्रतीक रावण का पुतला जलाया जाता है। नवरात्रि से कई जगह रामलीला का मंचन किया जाता है, जिसमें दशहरे के दिन रावण वध के बाद रावण का पुतला जलाने की परंपरा है। रावण अत्यंत बुद्धिमान था। दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में रावण के पुतले के दहन से पूर्व उसकी पूजा की जाती है क्योंकि उसके जैसा बुद्धिमान व्यक्ति दुनिया में नहीं था। परंतु असुर कुल में जन्म लेने के कारण आसुरी प्रवित्ति ने उसे अधर्म के मार्ग में धकेल दिया था। 


अलग अलग राज्यों में दशहरा का त्यौहार अलग अलग ढंग से मनाया जाता है, त्यौहार मनाने का रूप कोई भी हो मुख्य कारण अधर्म पर धर्म की विजय है। 


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