प्रदूषण : Pollution

प्रदूषण क्या है ?

यह कैसे होता है ?

यह कितने प्रकार का होता है ? 

इसके लाभ या हानि क्या हैं ?


आइये आज इन्हीं सब सवालों के जवाब तलाशते हैं।



हमारा पर्यावरण विभिन्न प्रकार के घटकों से मिलकर बना है। इस पर्यावरण में प्रत्येक घटक एक निश्चित अनुपात में है, और प्रत्येक घटक का एक निःचित संगठन है जिससे प्रकृति में संतुलन बना हुआ है। परंतु आज मानवीय क्रियाकलापों के द्वारा इस संगठन के अनुपात में परिवर्तन हो रहा है। पर्यावरण में विभिन्न घटकों के अनुपात में परिवर्तन हो रहा है। प्रकृति में होने वाला यही परिवर्तन जो मानव जाति के साथ साथ अन्य जीवधारियों के लिए भी हानिकारक हो प्रदूषण कहलाता है।



अतः अगर हम प्रदूषण की परिभाषा कहें तो इस प्रकार हम व्यक्त कर सकते हैं -  

      "पर्यावरण में होने वाला ऐसा परिवर्तन जो जीवों के लिए हानिकारक हो प्रदूषण कहलाता है। "


दूसरे शब्दों में - " वातावरण में होने वाला अवांछनीय परिवर्तन ही प्रदूषण कहलाता है। "


अथवा - "पर्यावरण के विभिन्न घटकों का जो निश्चित अनुपात है,उसमें कमी या अधिकता प्रदूषण कहलाती है।"



वर्तमान समय में विकास की अंधी दौड़ ने मानव को आहत आगे तो पहुंचा दिया है लेकिन साथ ही उसके पर्यावरण को इन सब विकास के कार्यों से बहुत नुकसान पहुंचा है। मानव प्रकृति को नियंत्रित करने का प्रयत्न कर रहा है जो कि असंभव है। इस प्रयत्न में वह अपने साथ साथ दूसरे जीवधारियों के लिए भी खतरा उत्पन्न कर  रहा है। मानवीय क्रियाकलापों से प्रकृतिको बहुत नुकसान हो रहा है। इसका परिणाम समस्त सृष्टि को भुगतना पड़ेगा। 



प्रदूषण का मुख्य कारण केवल ओर केवल मानव क्रियाकलाप ही हैं। अगर इसी तरह मनुष्य प्रकृति का दोहन करता गया तो वो दिन दूर नहीं जब पृथ्वी पर जीवन ही समाप्त हो जाएगा।



प्रदूषण के प्रकार - 


अगर प्रदूषण के प्रकार की चर्चा करें तो यह मुख्यरूप से निम्न प्रकार का होता है- 

1 - वायु प्रदूषण

2 - जल प्रदूषण 

3 - ध्वनि प्रदूषण

4 - मृदा प्रदूषण

5 - रेडियोधर्मी प्रदूषण





समस्त प्रदूषण के बारे में अगले अंक में। जिसकी जानकारी तुरंत प्राप्त करने हेतु follow जरूर करें। 



                                क्रमशः





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