वैक्सीन कैसे बनती है ? Basic information of vaccine.

 क्या होती है वैक्सीन ?

कैसे बनाई जाती है वैक्सीन ?

कैसे काम करती है वैक्सीन ?

 इसी तरह के कई सारे सवाल हैं जो हमारे दिमाग में घूमते हैं, और हम जानना चाहते हैं ये सब। तो चलिए कुछ जानकारी वैक्सीन की हम आपके लिए लेकर आये हैं। इसे जरूर पढ़ें।


Vaccine अथवा टीका, ये एक ऐसा द्रव्य है जो किसी जीव शरीर का ही उपयोग करके बनाया जाता है, तथा इसके प्रयोग से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाता है। 





वैक्सीन बनाने के लिए संवर्धन माध्यम में विषाणुओं का संवर्धन किया जाता है। इसके पश्चात एक उचित विलयन में इन विषाणुओं का विलयन बनाया जाता है। विषाणु वायरस अगर कमजोर है तो कोई दिक्कत नहीं है, अन्यथा इसे 60 डिग्री सेल्सियस तापमान पर गर्म पानी में उबालकर निर्जीव कर लिया जाता है। उचित विलयन में वायरस की एक निश्चित संख्या होना आवश्यक है। इसके लिए विलयन की मात्रा को बढ़ाकर उसमें निश्चित संख्या विषाणु की कर दी जाती है। इसके बाद इसके उचित परीक्षण किए जाते हैं, विभिन्न चरणों के परीक्षण में सफल होने पर इसे व्यापक रूप से टीकाकरण हेतु बाजार में उपलब्ध कराया जाता है।




टीका लगाने का मुख्य प्रयोजन बिना रोग उत्पन्न किए शरीर में रोगनिरोधी प्रतिरक्षी का निर्माण करना है।  रोग उत्पन्न करने में असमर्थ मृत रोगाणुओं को शरीर में प्रवेश कराते ही प्रतिरक्षियों का उत्पादन होने लगता है। यदि मृत रोगाणुओं के द्वारा प्रतिरक्षी का निर्माण नहीं हो पाता है तो ऐसी अवस्था  में जीवित रोगाणुओं का उपयोग किया जाता है। 

इस प्रक्रिया में जीवित रोगाणुओं की आक्रामक शक्ति को निर्बल कर उन्हें पहले निस्तेज कर दिया जाता है जिससे उनमें रोगकारी क्षमता तो नहीं रहती, किंतु प्रतिरक्षी बनाने की शक्ति बनी रहती है। जो रोगाणु जीवविष उत्पन्न कर सकते हैं, उनके इस जीवविष को फ़ार्मेलिन के संयोग से शिथिल कर टीके में प्रयुक्त किया जाता है। इस प्रकार के फ़ार्मेलिन प्रभावित जीवविष को जीवविषाभ (Toxoid) कहते हैं। अत: रोगनिरोधी प्रतिरक्षी उत्पन्न करने के लिए मृत रोगाणु निस्तेजित रोगाणु अथवा जीवविषाभ का प्रयोग टीके द्वारा किया जाता है। रोगनिरोधी टीके के लिए जो द्रव काम में लाया जाता है। उसे वैक्सीन कहते हैं। यह वास्तव में मृत अथवा निस्तेजित रोगाणुओं का निलंबन (suspension) होता है। इसमें फ़िनोल अथवा कोई अन्य जीवाणुनाशक पदार्थ मिला दिया जाता है जिससे वैक्सीन की शुद्धता बनी रहे।

अंत में वैक्सीन को बॉयल में भरकर जीवणुमुक्त स्टॉपर लगाकर सील लगा दी जाती है। और व्यापक इस्तेमाल के लिए उचित तापमान के साथ वितरित की जाती है। 




आपको यह जानकारी कैसी लगी, कमेंट में जरूर बताएं।





 

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