राष्ट्रीय बेरोजगार दिवस : क्या हो इसका समाधान ?
इस वर्ष 17 सितंबर को देश के सभी बेरोजगार युवाओं ने इसे "राष्ट्रीय बेरोजगार दिवस" के रूप में मनाया।
देश में बढ़ती बेरोजगारी को देखते हुए काफी समय से युवा आक्रोशित हैं, इसी के क्रम में 17 सितंबर को देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी के जन्मदिवस को राष्ट्रीय बेरोजगार दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव दिया गया था। जिसे सोशल मीडिया के द्वारा बहुत प्रचारित किया गया। इसी प्रचार प्रसार का यह परिणाम रहा कि 17 सितंबर को सभी सोशल मीडिया में राष्ट्रीय बेरोजगार दिवस के लिए #NationalUnemploymentDay ये टैगलाइन twitter पर पहले नंबर पर ट्रेंड करने लगी।
इसके द्वारा युवाओं ने संकेत दिया कि देश मे बेरोजगारी एक बहुत बड़ी समस्या है ओर इसका हल सरकार को निकालना होगा।
देश के युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करना सरकार का कर्तव्य है, और रोजगार के मुद्दे से अब सरकार युवाओं को भटका नहीं सकती है। रोजगार की बात करना देश के हर नागरिक का अधिकार है। परंतु वर्तमान में सरकार रोजगार की ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है।
आज अगर हम रोजगार की बात करें तो सरकारी विभागों में आज भी बहुत सारे पद खाली पड़े हैं। परंतु सरकार उन पदों को भरने की जगह उन्हें मृत घोषित कर पदों को समाप्त करती जा रही है। जिससे आने वाले समय में बेरोजगारी और बढ़ती जाएगी। देश में सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह शिक्षा, स्वास्थ्य, ओर रोजगार के मुद्दों पर विशेष ध्यान दे। शिक्षा व्यवस्था ऐसी हो कि एक गरीब तबके के व्यक्ति को भी उसका पूरा लाभ मिल सके। इसी प्रकार स्वास्थ्य व्यवस्था भी ऐसी होनी चाहिए कि एक गरीब तबके के व्यक्ति भी अपना आसानी से इलाज कर सके।
इसके बाद बात आती है रोजगार की , तो जरूरी ये नहीं है कि सरकार सभी को रोजगार दे,ये असंभव है कि सभी लोगों को सरकारी नौकरी मिल सकती है। परंतु सरकार को ये चाहिए कि वो सरकारी नौकरी के अवसर प्रत्येक बेरोजगार को दे। देश के प्रत्येक नागरिक को उसकी शिक्षा के आधार पर सरकारी नौकरी के अवसर मिलने चाहिए। उसके बाद उम्र सीमा समाप्त होने से पहले अगर वो अपनी मेहनत से रोजगार पा लेता है तो ठीक है,उम्र सीमा समाप्त होने के पश्चात वो फिर कुछ कहेगा भी नहीं।
जैसा कि मैं पहले भी कह चुका हूं कि सभी सरकारी विभागों में बहुत से पैड अभी खाली पड़े हैं। सरकार को उन पदों को समाप्त करने की बजाय उनके लिए विज्ञप्ति निकालनी चाहिए। एक पारदर्शी नीति बनाकर समय समय पर विभिन्न विभागों में खाली पड़े पदों के लिए विज्ञप्ति निकाली जानी चाहिए। समय से भर्ती चयन परीक्षा के द्वारा सम्पन्न कराकर उसमें नियुक्ति करनी चाहिए। एक समय सारिणी पहले ही तय हो जानी चाहिए कि प्रत्येक वर्ष या 2 वर्षों में इस विभाग के लिए विज्ञापन निकलेगा,और एक निश्चित समयावधि में पूरी भर्ती प्रक्रिया सम्पन्न करवाकर उसमें नियुक्ति दी जाएगी। विज्ञापन की शर्तों को आसान भाषा मे स्पष्ट लिखा जाए जिससे बाद में कोई न्यायालय की शरण में जाकर भर्ती प्रक्रिया में व्यवधान उत्पन्न न करे।
बहुत आसान है ये सब, बस सरकार की मंशा होनी चाहिए कुछ भी करने की।
यहां पर बात सिर्फ बेरोजगारी की ही नहीं है। सरकार अवसर नहीं दे रही है रोजगार के। सरकार को चाहिए कि वो रोजगार के अवसर दे, बाकी उम्र रहते जो अवसर देने के बाद भी रोजगार प्राप्त नहीं कर पाया हो वो उसके बाद पकोड़े तले, या चाय बनाये वो कुछ नहीं कहेगा, क्योकि अवसर उसे मिला था जिसे वो प्राप्त नहीं कर पाया। परंतु सरकार को सरकारी नौकरी के अवसर हर युवा बेरोजगार को देने होंगे। वरना स्तिथी दिन प्रतिदिन भयावह होती जाएगी। जो सरकारी नौकरी के लायक होंगे वो इसमें आएंगे। प्राइवेट कंपनियों में जो उस लायक अपनी क्षमता रखते हैं वो वहां बेहतर भविष्य का निर्माण करेंगे। और जो इन सब में असफल हो जाएगा वो मजदूर वर्ग, या अन्य अपना रोजगार संभालेंगे।
जिससे देश के युवाओं को प्रतिस्पर्धा का मौका मिलेगा, हर जगह अच्छा काम होगा। देश प्रगति करेगा।
युवाओं को रोजगार के मुद्दे से भटकाकर इधर उधर की बातों में व्यस्त करने से कुछ समय तक सरकार छुटकारा पा सकती है परंतु बेरोजगारी का हल नहीं निकाल सकती है। आज सरकार को फिर से सोचना होगा। सरकती विभागों में खाली पड़े पदों को भरने के बारे में सोचना होगा।
आज सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी जी की अपने जन्म दिन के अवसर पर युवाओं द्वारा ऐसा तोहफा दिया गया की पूरे देश में एक साथ "राष्ट्रीय बेरोजगार दिवस " मनाया गया। इससे ज्यादा शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता है। इससे बचने को जरूरत है कुछ अच्छा उपाय करके रोजगार के अवसर पैदा करें। आत्मनिर्भर भारत की बात बोलने से कुछ नहीं होगा उसके लिए कार्य भी करने होंगे।
जागो जागो जागो।
देश के युवाओं जागो।
सरकार का कर्तव्य है रोजगार के अवसर पैदा करना।
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