कटारमल : भारत का दूसरा सबसे बड़ा सूर्य मंदिर

कटारमल, भारत का सबसे प्राचीनतम सूर्य मंदिर और देश का दूसरा सबसे बड़ा सूर्य मंदिर है। यह उत्तराखंड के अल्मोड़ा जनपद में कोसी के किनारे अधेली सुनार गांव में एक चोटी पर स्थित है। मंदिर की ही वजह से इस स्थान को लोग कोसी कटारमल के नाम से ही जानते हैं। अल्मोड़ा नगर से 17 किमी की दूरी पर यह एक पहाड़ी पर स्थित है। वर्तमान समय में मंदिर के पास तक सड़क आ चुकी है जिससे यात्रा आसान हो गयी है। परंतु कुछ वर्ष पूर्व तक सड़क केवल कोसी तक थी वहां से 3 किमी की पैदल यात्रा वो भी ऊंची पहाड़ी पर चढ़कर मंदिर में पहुंच सकते थे और दिव्य दर्शन किये जा सकते थे। 


कटारमल मंदिर का निर्माण कत्यूरी वंश के शाशक कटारमल के द्वारा छठी शताब्दी से नवीं शताब्दी के मध्य किया गया। यह कुमाऊं के सबसे ऊंचे मंदिरों में से एक है। यह प्राचीन स्थापत्य कला एवं शिल्प कला का बेहतरीन नमूना है। 
मुख्य मंदिर काफी विशाल है। इसका गुम्बद अब खंडित हो चुका है फिर भी इसकी विशालता का अनुमान इसके खंडित शिखर को देखकर ही आसानी से लग जाता है । मुख्य मंदिर के साथ 45 छोटे बड़े अन्य मंदिर समूह हैं। जिसमें अन्य देवी देवता निवास करते हैं। 
मुख्य मंदिर के खंडित शिखर के कुछ भाग अभी भी मंदिर प्रांगण में ही बिखरे पड़े हैं। जिन्हें देखकर आश्चर्य होता है कि इतने बड़े शिलाखंडों को किस तरह से तराशने के पश्चात इतने ऊंचे शिखर तक पहुंचाया गया होगा। ये उस समय की विशेष तकनीकी रही होगी जिसे आज हम किसी बड़ी क्रेन के रूप में देखते हैं। मुख्य मंदिर का प्रवेश द्वार भी काष्ठ कला का एक बेहतरीन नमूना है। 

प्रत्येक वर्ष पौष माह के प्रथम रविवार को यहां मंदिर प्रांगण में विशाल मेला लगता है। जिसमें आस पास के गांव के लोगों के साथ दूर दूर से कई श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता है। मंदिर के आगे के खाली भू भाग पर बड़े बड़े कढ़ाही में खीर बनती है जिसका सूर्य भगवान को भोग लगाने के पश्चात लोगों में प्रसाद के रूप में वितरण होता है। लोगों के द्वारा भजन कीर्तन किये जाते हैं। कई गांवों के लोगों के द्वारा झोड़ा चचरी का भी गायन किया जाता है। वर्तमान में मेले ने अपना स्वरूप बदल है अब झोड़ा चाचरी कम ही सुनने को मिलती हैं। 

पौष मास के प्रथम रविवार को सूर्य की पहली किरण जब मंदिर पर पड़ती है तब सूर्य भगवान का अभिषेक किया जाता है। शंख और घंटियों की आवाज से मंदिर गूंजने लगता है और एक दिव्य अनुभूति होती है। 


यहां पहुंचने के लिए आपको सबसे नजदीकी हवाई अड्डा पंतनगर मिलेगा। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है। वहां से सड़क मार्ग से अल्मोड़ा या रानीखेत आना पड़ेगा और वहां से आगे को फिर सड़क मार्ग से आप कोसी पहुंच सकते हैं। अगर आप कोसी से पैदल जाना चाहते हैं तो आप 3 किमी की खाड़ी चढ़ाई के बाद मंदिर तक पंहुच सकते हैं। पैदल मार्ग में जगह जगह विश्राम करने के लिए चबूतरे बने हुए हैं। पैदल मार्ग से जाते हुए आप अंदर प्राकृतिक नजारों का आनंद भी ले सकते हैं। जगह जगह पर लोगों के द्वारा पेड़ों पर सुंदर सुंदर गौरैया के लिए घर बनाये गए हैं। 
इसके अलावा आप सीधे वाहन से मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार तक पंहुच सकते हैं जहां से 200 मीटर की दूरी पर ही मुख्य मंदिर स्थित है। 





तो आइए और भगवान सूर्य के दिव्य दर्शन के साथ शिल्प कला का बेहतरीन नमूना देखिये। 





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