विज्ञान : अर्थ, महत्व , विकास और दुष्परिणाम
विज्ञान की जब हम बात करते हैं तो सबसे पहले विज्ञान की परिभाषा की बात आती है कि आखिर विज्ञान को शब्दों में कैसे व्यक्त करें। तो इसकी एक साधारण सी परिभाषा जो बहुत पहले से हम देते आये हैं वह इस प्रकार है- " किसी भी विषय के विस्तृत क्रमबद्ध और तर्कपूर्ण अध्ययन को ही विज्ञान कहते हैं ।"
पर सही मायने में देखे तो सिर्फ इतने से हम विज्ञान को समझ जाएं ये असंभव है। विज्ञान बहुत व्यापक शब्द है। इसको इतनी आसानी से समझना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन से है जब तक हम विज्ञान को अपने दैनिक जीवन के साथ न जोड़ लें।
इस सबसे पहले मैं एक बात और बताना चाहूंगा कि 20वीं शताब्दी के मध्य तक विज्ञान की मुख्य रूप से 3 शाखाएं ही प्रचलित थी अर्थात विज्ञान को 3 भागों में बांटा गया था ।
भौतिक विज्ञान
रसायन विज्ञान
जीव विज्ञान
परंतु वर्तमान में विज्ञान की असंख्य शाखायें हो चुकी हैं क्योंकि विज्ञान को समझना इतना आसान नहीं है । हम जैसे जैसे इसका अध्ययन करते जाते हैं इसकी व्यापकता का पता हमें चलता रहता है। आज हर विषय विज्ञान के बिना अधूरा से है और सही कहें तो बिना विज्ञान के हमारा जीवन ही नहीं है।
हम अपने दैनिक जीवन से विज्ञान को जोड़ते हैं।
सुबह उठते से रात को सोने तक जितनी भी घटनाएं हमारे साथ होती हैं सबमे कुछ न कुछ विज्ञान है।
जैसे दांत साफ करने को टूथपेस्ट, ब्रश, नहाने को साबुन ये सब विज्ञान की ही तो दें हैं।
घरों में पानी का आना, बिजली का आना, बिजली का बल्ब, टेलीविजन, फ्रिज, वाशिंग मशीन , मोबाइल, गैस चूल्हा, गैस सिलिंडर, खाना बनाने के बर्तन, आराम करने को बिस्तर, पहनने को कपड़े, हमारा घर सब कुछ सभी विज्ञान ने ही तो हमें दिया है।
सही कहें तो विज्ञान हमारे साथ तब से है जब विज्ञान शब्द की उत्पत्ति भी नहीं हुई थी। और हमारे प्राचीन धर्म ग्रंथों और पौराणिक कथाओं में तो विज्ञान के विकास के अनेक प्रमाण मिलते हैं।
मैं प्राचीन काल्कि छोटी सी बात करूं तो सोमरस, जिसे आधुनिक समय मे शराब कहा जाता है तो वह तब भी बनती थी।
महाभारत की कथा में अपने माखन चोर के बारे में तो सुना होगा। वो माखन भी जो बनता था वो भी एक वैज्ञानिक प्रक्रिया ही है। फिर उस समय के हथियार जो पूरी पृथ्वी को तक नष्ट करने की शक्ति रखते थे वो सब विज्ञान के उन्नत विकास की कहानी कहते हैं। आज आधुनिक समय के परमाणु अस्त्रों की ही तरह के कई विनाशकारी हथियारों का वर्णन हमारे प्राचीन ग्रंथों में है।
तो हम कह सकते हैं कि विज्ञान को एक छोटी सी परिभाषा से परिभाषित करना संभव नहीं है।
अभी विज्ञान ने पूर्ण रूप से प्रगति नहीं की है । अभी आने वाले समय मे विज्ञान और ज्यादा प्रगति करेगा। मनुष्य ब्रह्मण्ड में जा चुका है आकाशगंगा का रहस्य पता कर रहा है दूसरे ग्रहों पर जीवन की खोज कर रहा है और विज्ञान में यह शक्ति है कि अगर इसका सही ढंग से प्रयोग हो तो मनुष्य सब कुछ हासिल कर सकता है।
परन्तु विज्ञान की ये प्रगति कहीं खतरे का संकेत भी है। हम विज्ञान के विकास और अपनी विलासिता के साधन बनाने में इतने अंधे हो गए हैं कि हम प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ रहे हैं जिसके गंभीर परिणाम हमको भुगतने पड़ेंगे।
प्रकति हमे बताती भी है कि अभी भी वक़्त है संभाल लो पर नहीं मनुष्य आज अंधा हो चुका है वह नहीं रुकने वाला है, इसी का परिणाम है कि जब बारिश हुई चाहिए तब सूखा पड़ता है और जब धूप निकल कर गर्मी होनी है तब ओले गिरते हैं ।
आज विश्व मे कोरोना जैसी गंभीर बीमारी महामारी विज्ञान के गलत प्रयोग का दुष्परिणाम है जिससे पूरी मानव जाति पर संकट आ गया है। अगर अभी भी वक़्त रहते मनुष्य नहीं संभला तो फिर पृथ्वी पर महाप्रलय आने से कोई नहीं रोक पायेगा और सम्पूर्ण मानव जाति का अस्तित्व मिट जाएगा।
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