वर्तमान शिक्षा पद्धति : अच्छी या बुरी
आज बात करें वर्तमान शिक्षा पद्धति की तो इसकी चर्चा करने के लिए बहुत कुछ है, ओर इसमें सुधार करना भी अति आवश्यक है।
आज की शिक्षा पद्धति मुख रूप से बाल केंद्रित है। जिसका अर्थ है कि शिक्षा का मूल उद्देश्य जो ज्ञान देना था वो अब नहीं है अब बाल केंद्रित शिक्षा का मूल उद्देश्य यह हो गया है कि विद्यार्थी को किसी भी तरह की समस्या नहीं होनी चाहिए, उसके मन में अशिक्षा के प्रति भय की कोई संभावना न रहे, आज की शिक्षा पद्धति में विद्यार्थियों को ज्ञान से ज्यादा उनके मन मे किसी प्रकार का कोई तनाव ना रहे इस पर जोर देती है।
इस पर आज बहुत बदलाव करने की जरूरत है, आज हम भारत को विश्व गुरु बनाने की बात तो करते हैं पर विश्व गुरु बनाने के लिए अपने बच्चों को और खुद को कोई कष्ट नहीं देना चाहते हैं। आज बच्चों का बुद्धि लब्धि स्तर कम होता जा रहा है , जिसके जिम्मेदार बच्चों के अभिभावकों से लेकर सरकारी तंत्र और सरकारी नीतियां हैं।
हम चाहते तो हैं कि हमारे बच्चों को अच्छी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले पर हम इसके लिए क्या करते हैं कि बच्चों को महंगे से महंगे स्कूलों में भेजते हैं और सोचते हैं कि हमारी जिम्मेदारी खत्म, पर बच्चा वहां क्या सीख रहा है इसकी जानकारी बहुत कम अभिभावकों को होती है।
सरकारी स्कूलोँ की वर्तमान दशा अत्यंत ही खराब है, ओर विद्यालय दयनीय हालत में आ चुके हैं, इसकी जिम्मेदार सरकार की नीतियां हैं। किसी सरकारी विद्यालय की दशा को सुधारना ओर बिगड़ना ये सरकार की नीतियों पर निर्भर करता है फिर भी कई सरकारी विद्यालय हैं जो इन सब अभावग्रस्त माहौल में भी अपने विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा दे रहे हैं और उनके पूर्ण विकास में भरपूर योगदान दे रहे हैं।
अगर सरकार किसी सरकारी विद्यालय की दशा सुधारने का प्रयास करना चाहती है तो सबसे पहले तो उसे सरकारी विद्यालयों में पूर्ण शिक्षकों की नियुक्ति करनी चाहिए, किसी सरकारी विद्यालय में भवन, ओर अन्य सामग्री की पूर्ण व्यवस्था की जाए । पक्के भवन, उचित फर्नीचर और सभी विषयों के पर्याप्त शिक्षक अगर उपलब्ध हों तो सरकारी विद्यालय किसी भी देश के बड़े से बड़े महंगे प्राइवेट स्कूल को टक्कर दे सकता है क्योकिं शिक्षक में योग्यता है पर उसे सही तरह से इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है।
इन सब के बाद शिक्षकों को शिक्षण कार्य के अतिरिक्त अन्य क्रियाकलापों से दूर रखा जाए, विभागीय कार्यों के अतिरिक्त उनसे अन्य कार्य न करवाये जाएं। एक सरकारी विद्यालय में शिक्षण कार्य सबसे कम और अन्य कार्य सबसे अधिक होते हैं, इन सबसे शिक्षकों को अलग किया जाए तो प्रत्येक विद्यालय में एक अच्छा शैक्षणिक माहौल तैयार हो जाएगा।
इस सबके अलावा सरकार को ज्ञान केंद्रित शिक्षा पर जोर देना होगा, आज विद्यार्थी चाहे कैसा भी हो उसे अगली कक्षा में पहचाना ये प्राथमिकता दी गयी है चाहे उसे उतना ज्ञान आता हो या न आता हो। तो सरकार को इसमें संसोधन करने की आवश्यकता है । सरकार को इस नीति को बदलना होगा और तय करना होगा कि यदि किसी विद्यार्थी को अगली कक्षा में भेजने लायक ज्ञान नहीं है तो उसे 1 वर्ष तक पुनः वर्तमान कक्षा में ही अध्ययन कराया जाए। यकीन मानिए शिक्षा व्यवस्था में बहुत सुधार हो सकता है और वो भी बिना किसी अतिरिक्त संसाधनों के। बस सरकार को वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठकर कुछ ठोस निर्णय लेने होंगे।
और अगर सरकार सिर्फ़ ये काम कर ले कि सरकारी विद्यालयों में पर्याप्त शिक्षक और ज्ञान केंद्रित शिक्षा तो यकीन मानिए हमारा देश भारत जल्दी ही विश्वगुरु बन जायेगा और पूरे संसार मे हमारा परचम लहराएगा।
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