कोरोना के बीच शुरू हुई उत्तराखंड बोर्ड की शेष परीक्षा

दिनांक 22 जून 2020 से उत्तराखंड बोर्ड की अवशेष परीक्षायें भी शुरू हुई जो 24 जून 2020 को समाप्त हो जाएंगी। इस वर्ष की बोर्ड परीक्षाएं भी थोड़ा अलग रहीं। और असमंजस के बीच आखिर शुरू भी हो गयी। दूसरी ओर मूल्यांकन का प्रथम चरण सम्पन्न हो चुका है और अब द्वितीय चरण का मूल्यांकन 28 जून 2020 से शुरू होगा।

चलिए बात करते हैं बोर्ड परीक्षा के वर्तमान माहौल की। इस बार द्वितीय चरण के इस बोर्ड परीक्षा में हमें थोड़ा परिवर्तन देखने को मिला, जैसे UP  बोर्ड के समय होता था। एक दिन में दो पालियों में पेपर। यहां भी प्रथम पाली में हाइस्कूल तथा द्वितीय पाली में इंटरमीडिएट की परीक्षाएं हो रही हैं। हाइस्कूल के प्रश्नपत्रों का समय है प्रातः 9 बजे से 12 बजे तक। परीक्षा केंद्र में 8 बजे सुबह पहुंचना है। वहीं दूसरी ओर इंटरमीडिएट की परीक्षा का समय भी परिवर्तित किया गया। इंटरमीडिएट की परीक्षा का समय अपराह्न 2 बजे से 5 बजे तक रखा गया है। परीक्षार्थियों के पहुंचने का समय है 1 बजे अपराह्न।
तो ये तो बात हुई समय सारिणी की। अब बैठक व्यवस्था भी परिवर्तित कर दी गयी है। बैठक व्यवस्था में प्रत्येक परीक्षार्थी को सामाजिक दूरी का पालन करवाते हुए कक्ष में बैठना है। अर्थात पहले जिस कक्ष में अगर 20 परीक्षार्थी थे तो अब वर्तमान में उस कक्ष में 10 परीक्षार्थी बैठकर परीक्षा देंगे। सीधे सीधे कहें तो अगर किसी परीक्षा केंद्र में पहले 6 कक्षों में बच्चे बैठे थे तो अब उनके कक्षों की संख्या 12 हो गयी। तो केंद्र के लिए थोड़ी समस्या यहां पर आई कि अतिरिक्त कक्षों की व्यवस्था करने की। कुछ विद्यालय खासतौर पर हमारे दुर्गम के विद्यालय तो ऐसे भी हैं कि उनके पास छात्र संख्या तो बहुत है पर पर्याप्त कक्ष  नहीं हैं तो वहां अतिरिक्त कक्षों की व्यवस्था करने में बहुत समस्या आयी।

चलिए ये भी हो गया, अब आखिर कैसे पेपर शुरू हुआ क्या क्या हुआ? 
इस प्रश्न का उत्तर देखें तो सर्वप्रथम जब परीक्षार्थी केंद्र में पहुंच गया था तो उन्हें सामाजिक दूरी के साथ पंक्तिबद्ध करके  जरूरी जो निर्देश थे वह सुनाए गए। इसके बाद एक एक कार प्रत्येक परीक्षार्थी का तापमान थर्मल स्कैनर से लिया गया। निर्देश थे कि अगर किसी बच्चे का तापमान ज्यादा है तो उसे अलग से कक्षों में बैठाया जाए और उसकी परीक्षा अलग से ली जाए। चलिए हुआ फिर ये भी। कुछ बच्चे तो घबरा रहे थे, बच्चों के बीच भय का एक माहौल था कि कोन कब और कहां से आया होगा क्या पता। भय का एक माहौल तो कक्ष निरीक्षकों के मन में भी था। कुछ छात्र छात्राएं जो पहाड़ी क्षेत्रों में थोड़ा दूर से पैदल चलकर आती हैं तो उनका तापमान सामान्य से कुछ अधिक आया। तो उनको अलग से बैठकर कुछ देर तक आराम करने दिया। फिर उनका पुनः परीक्षण किया गया तो वो सामान्य आ चुके थे। उन्हें भी उनके कक्षों में  बैठाया गया। प्रत्येक परीक्षार्थी को sanitiser से हाथ sanitise किये गए। sanitiser की व्यवस्था सरकार की ओर से की गयी। इसके पश्चात परीक्षा सम्पन्न हुई। कॉपी जमा करके संकलन केंद्र की ओर भिजवाई गयी। 



कुल मिलाकर जो परीक्षा काफी लंबे समय से रुकी हुई थी आखिर वो सम्पन्न होने जा रही है। 

इस समय में शिक्षक भी एक कोरोना योद्धा की भूमिका में हैं। बिना किसी अतिरिक्त सहायता के इस तरह से बोर्ड परीक्षा को सम्पन्न कराना भी  एक चुनौती ही है। जिसे हमारे शिक्षक साथी सफलतापूर्वक अंजाम दे रहे हैं। कोई भी हो किसी भी प्रकार की ड्यूटी हो हमारे शिक्षक उसे पूरी ईमानदारी के साथ करते हैं। चाहे वो चुनाव ड्यूटी हो , या बोर्ड परीक्षा , मूल्यांकन या फिर कोरोना । सभी प्रकार की ड्यूटी पूरी तत्परता और ईमानदारी से शिक्षक करते आये हैं पर फिर भी उन्हें वो सम्मान नही दिया जाता है जो उन्हें वास्तव में मिलना चाहिए। 

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