दावानल : जंगल की आग : प्रकृति का विनाश

हर साल हम देखते हैं कि अखबारों में , समाचार चैनलों में कि इस क्षेत्र के जंगल में आग लग गयी। कई जंगल पूरी तरह जलकर नष्ट हो जाते हैं। 

आखिर क्यों? कैसे? 


हम अगर इस बात पर गौर करें तो देखते हैं कि जैसे ही गर्मियाँ शुरू होती हैं जंगलो में आग लगने लगती है। पर ये आग लगाता कौन है। ये आग हम लोगों के ही बीच से कोई लगाता है जो शायद यह नहीं जानता है कि वह प्रकृति का कितना नुकसान कर रहा है। 

कुछ लोग गलती से तो कुछ जान बूझकर इस आग को लगाते हैं। जैसे अक्सर जंगल मे गर्मियों के समय कैम्प लगाए जाते हैं। कुछ लोग वहां रात में रुकते हैं और कैम्प फायर करते हैं। जिसके पश्चात वे आग को अच्छे से बुझाते नहीं हैं और जंगल मे आग पकड़ लेती है। या हो सकता है कि जंगल में घूमते हुए कोई बीड़ी या सिगरेट फेंक दे और वो सूखे पत्तों में आग पकड़ लेती है। जो फिर दावानल का रूप ले लेती है। 

इसके अलावा एक कारण जंगल में आग लगने का ओर है कि कुछ शरारती तत्व जानबूझकर जंगल मे आग लगते हैं और भाग जाते हैं। पता नहीं ऐसा करके उन्हें मिलता क्या है पर वो ये अपराध करते हैं। 

एक और बात यहाँ पर आती है कि कुछ लोग ये तर्क देते हैं कि जंगल में जब पत्ते गिरे होते हैं तो उनपर आग लगा देने से बरसात के समय घास अच्छी लगती है । पर उस आग को लगाने से कितने बहुमूल्य संपदा का नुकसान होता है इस बात को वो नहीं समझते हैं।



अब हम बात करते हैं कि कैसे इससे बचा जा सकता है। तो इससे बचने के लिए सबसे पहले तो लोगों को जागरूक होना होगा, उन्हें ये ज्ञान कराना होगा कि आग लगने से कितना नुकसान है। आज सभी लोग पढ़े लिखे और समझदार हैं। तो वे इस बात को अच्छे से समझेंगे और जागरूक होने के साथ अन्य लोगों को भी जागरूक करेंगे। अगर जंगल में पिकनिक मनाई जाती है तो वहां आग लगाने पर सख्त रोक होनी चाहिए। जंगल में घूमने आने वाले लोगों के पास सिगरेट माचिस लाइटर जैसी ज्वलनशील वस्तुएं नहीं होनी चाहिए । इससे हम काफी हद तक जंगलों को बचा सकते हैं। लोगों को जागरूक करना चाहिए कि अगर कोई जंगल में आग लगते हुए मिले तो उसे रोकें और अगर वो न रुके तो वन विभाग या स्थानीय प्रशासन को खबर करें। और सरकार को ऐसे लोगों पर सख्त से सख्त कार्यवाही करनी चाहिए। इसके साथ सूचना देने वाले व्यक्ति को पुरस्कार देने की भी व्यवस्था करनी चाहिए।

इस वर्ष हमने देखा कि जंगलों की आग नहीं लगी। क्योंकि पर्यटन न होने के कारण लोगों का जंगल के आस पास आवागमन नहीं हुआ तो जंगलों में आग भी नहीं लगी। वातावरण एक दम शुद्ध हो गया। जहां गर्मियों में सभी पहाड़ों में धुंध रहती थी सामने की पहाड़ी तक स्पष्ट नहीं दिखती थी। वहां इस वर्ष देखें तो दूर हिमालय भी साफ और स्पष्ट दिखाई दे रहा है। प्रकृति का सुंदर नजारा हमको दिख रहा है। 
एक बात और जो लोग ये तर्क देते हैं कि जंगल में आग लगाकर बरसात में घास अच्छी लगती है तो उनको मैं यही कहना चाहूंगा आग लगाने से अच्छा ये है कि आप जंगल के उन पत्तो को एक जगह इकट्ठा कर दीजिए और उनका किसी दूसरे कामों में प्रयोग कीजिये। यकीन मानिए घास बहुत अच्छी लगेगी। बहुत ही ज्यादा अच्छी। और साथ में कई सारे औषधीय गुणों से भरपूर वृक्षों की भी सुरक्षा होगी। जो कई गंभीर रोगों के ईलाज में औषधि के रूप प्रयोग होते हैं। 


तो एक बार सोचिए कि ये जंगल जो आपको जीवन देते हैं उनकी रक्षा करना हम सबका कर्तव्य है। 
आइये संकल्प लेते हैं कि हम अपने आस पास के जंगलों की हर संभव सुरक्षा करेंगें, और कम से कम 10 पेड़ प्रतिवर्ष खाली जमीन में लगाएं। 


हरी भरी पृथ्वी में ही जीवन है इसे बचाने का हमको प्रयास करना चाहिए। 

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