3 दिसंबर का इतिहास: एक नज़र अतीत पर
**3 दिसंबर का इतिहास: एक नज़र अतीत पर**
3 दिसंबर को इतिहास के पन्नों में कई महत्वपूर्ण घटनाओं, उपलब्धियों और यादगार पलों के लिए जाना जाता है। यह दिन राजनीति, विज्ञान, साहित्य और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ने वाली घटनाओं का साक्षी है। आइए, इस दिन से जुड़ी कुछ प्रमुख ऐतिहासिक घटनाओं और व्यक्तियों के बारे में जानते हैं।
### **अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस (International Day of Persons with Disabilities)**
संयुक्त राष्ट्र ने 3 दिसंबर को **अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस** के रूप में मनाने की शुरुआत 1992 में की। इस दिन का उद्देश्य समाज में दिव्यांगजन के अधिकारों और उनके प्रति सम्मान को बढ़ावा देना है। यह दिवस हमें उनकी समस्याओं को समझने और उनके लिए समान अवसर प्रदान करने की प्रेरणा देता है।
### **वैज्ञानिक खोज और भारत का पहला रॉकेट प्रक्षेपण**
3 दिसंबर 1967 का दिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए ऐतिहासिक रहा। इस दिन भारत ने नाइके-अपाचे नामक रॉकेट को पहली बार तिरुवनंतपुरम के थुंबा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन से प्रक्षेपित किया। यह घटना भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव साबित हुई।
### **प्रसिद्ध व्यक्तियों से जुड़ी घटनाएँ**
- **राजेंद्र प्रसाद**: 3 दिसंबर 1884 को भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म हुआ। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण नेता और संविधान सभा के अध्यक्ष थे। उनके नेतृत्व और समर्पण ने भारतीय गणराज्य को मजबूत नींव दी।
- **राउल वालनबर्ग**: 3 दिसंबर 1944 को राउल वालनबर्ग ने हज़ारों यहूदियों को नाज़ी उत्पीड़न से बचाया। उनकी मानवता और साहस के लिए उन्हें याद किया जाता है।
### **प्रमुख घटनाएँ**
- **भोपाल गैस त्रासदी (1984)**: 3 दिसंबर 1984 का दिन भारत के इतिहास का एक दुखद अध्याय है। इस दिन मध्य प्रदेश के भोपाल में यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से जहरीली गैस का रिसाव हुआ, जिसने हज़ारों लोगों की जान ली और लाखों को प्रभावित किया। यह घटना औद्योगिक दुर्घटनाओं की भयावहता का प्रतीक है।
- **ओज़ोन परत संरक्षण पर ध्यान**: 3 दिसंबर 1987 को मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत ओज़ोन परत को बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहल की गई। यह पर्यावरण संरक्षण के लिए वैश्विक प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम है।
### **साहित्य और कला में योगदान**
3 दिसंबर को कई साहित्यकारों और कलाकारों ने अपनी अमिट छाप छोड़ी है। इस दिन से जुड़े कई कवि और लेखक अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज को प्रेरित करते रहे हैं।
### **निष्कर्ष**
3 दिसंबर का इतिहास हमें कई सबक और प्रेरणाएँ देता है। यह दिन उन उपलब्धियों और घटनाओं का स्मरण कराता है जिन्होंने हमारे जीवन, समाज और संस्कृति को गहराई से प्रभावित किया। चाहे वह दिव्यांगजन के अधिकार हों, विज्ञान की प्रगति हो, या इतिहास की दुखद घटनाएँ—यह दिन हमें अतीत से सीखने और बेहतर भविष्य की दिशा में काम करने का अवसर देता है।

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